मंगलवार, 24 नवंबर 2009

इनका घर कब बनेगा ?


मेरे गाँव में इन्दिरा आवास योजना अंतर्गत १२१ लाभार्थियों का चयन हुआ है । लगभग २५ ऐसे हैं, जिनके पास पहले से अपना पक्का मकान है अथवा जिनके परिवार के सदस्यों के नाम पर इन्दिरा आवास का एक नहीं दो-दो बार आवंटन हो चुका है । कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिनके पास पक्का का मकान तो है ही, खेती-बारी की अच्छी जमीन भी है और संपन्न हैं । मैं खुलकर कहूँ तो मेरी जाति (भूमिहार) से ही दो लोगों का नाम लाभार्थियों की सूचि में है, वे बिल्कुल अयोग्य पात्र हैं । एक भाजपा के छुटभैये नेता हैं, दिनभर कोई काम नहीं, मुखिया जी के लटक, इस पदधिकारी से उस पदाधिकारी तक केवल जान-पहचान के लिए दौड़ लगाना, कोई मंत्री रास्ते से गुजर रहे हों तो घंटों रोड पर माला लेकर खड़ा रहना, फिर जनता से आय-आवासीय बनवाने के लिए ५० रु॰ तसीलना और अभिनन्दन समारोह आयोजित करना इनकी दैनन्दिनी है । इन महाशय के तीनों पुश्त का नाम बीपीएल सूचि में है, दो इन्दिरा आवास पहले ले चुके हैं तीसरे का पैसा जल्दी ही मिलनेवाला है । मूरख जनता, इन्दिरा आवास के लिए पाँच-पाँच हजार रुपए मुखिया जी के पास जमा कर रही है । मुखिया जी कोई शपथ-पत्र अपने पास जमा करा रहे हैं और लाभार्थियों को हड़का रहे हैं कि पैसा नहीं देने पर आपका शपथ-पत्र नहीं लेंगे और आप लाभार्थियों की सूची में रहने के बावजूद, लाभ से वंचित कर दिए जाओगे । मैंने बीडीओ साहब से शिकायत की (बाकायदा वैसे लोगों का नाम दिया जो या तो पूर्व में इस योजना का लाभ उठा चुके हैं या जिनका पक्का का मकान है तथा जाँच में सहयोग करने का वादा भी किया), उन्होने जाँच के आदेश भी दे दिए हैं । इधर सुनने में आ रहा है कि अनुसंधान पदाधिकारी ने लाभार्थियों से संपर्क साधा, कुछ लेन-देन की बातें हुई तथा एक-दो को छोड़कर बाकि लोगों के मकान की हालत जर्जर बता दी । अब इसका क्या उपाय है ? बात तो वही हो गयी- "बिल्ली को दूध की रखवाली मिल गयी" । मैंने इस बारे में शिकायत की तो कुछ लोगों ने कहना शुरु किया कि यह ग्रामीण राजनीति है । कुछ ने कहा यह पुरब-पश्चिम की लड़ाई है, जिसके चलते शिकायत की गई । भैया न तो मैं राजनीति कर रहा हूँ और न ही पुरब-पश्चिम के चक्कर में हूँ । ये बातें तो धूर्त लोग हवा में उछाल देते हैं अपनी रोटी सेंकने के लिए, जबतक आप पूरी बात समझेंगे तबतक वे अपनी रोटी सेंक चुके होंगे । मेरी जो शिकायत है उसे आप देखें तो पायेंगे कि यह हूबहू सही है, और पता है यह किनका हक मारा गया है । चलिए मेरे साथ देवी बिगहा, उमेर बिगहा तथा ठाकुर बिगहा -

यहाँ न तो नली-गली बनाया गया, न बीआरजीएफ का पैसा लगाया गया, न इन्हें नरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया और न अभी तक इन्दिरा आवास उपलब्ध कराया गया । इनके घर माटी के बने हैं, प्रत्येक वर्ष एक-दो लोगों की मौत साँप काटने से हो जाती है और घर को घर नहीं कहा जा सकता । बरसात में तो इनके घर अब गिरे कि तब गिरे वाली हालत में होती है । बाहर गली से लेकर घर तक कीचड़ का अंबार लगा होता है । मेरे अंदर भी जातीय भावनाएँ हैं, पर इनकी हालत देखता हूँ तो मेरा मन रोने को करता है, और विवश हो जाता हूँ इनके लिए कुछ करने को और फिर जात-परजात की बात खतम हो जाती है । वास्तव में यह मैं किसी राजनीति के तहत नहीं कर रहा बल्कि लगता है कि इनके पास जानकारी का अभाव है जिसके चलते इन्हें ठगा जा रहा है, तो मुझसे जितना बन पाए उतना करने की तो कोशिश करूँ । ये दिन-रात मेहनत करते हैं, इनकी मेहनत की कमाई हम खाते हैं, पर उनके खाने की गारंटी नहीं होती । ऊपर से इनके कल्याण के लिए चलायी जा रही सरकारी योजनाओं को भी हमलोग ही हड़प लें, तो यह महापाप है और सारे फसादों का जड़ भी । एक साजिश के तहत इन्हें बीपीएल सर्वे के समय अपेक्षाकृत कम गरीबों की सूची में रखा गया अथवा सर्वे में अंकों का ऐसा दाँव-पेंच लगाया गया कि इनके हिस्से का लाभ स्थानीय मुखिया के चहेतों को मिल सके, चाहे वे गरीब न भी हों । मैं किसी विचारधारा से भी प्रभावित नहीं हूँ बल्कि यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है । हो सकता है, इसके चलते भी मुझपर कोई नई प्राथमिकी दर्ज हो जाए पर इससे सच्चाई पर तो पर्दा नहीं डाला जा सकता ।

रजनीश कुमार
ग्राम-अरई, जिला-औरंगाबाद,
राज्य-बिहार, पिन-८२४११३

3 टिप्‍पणियां:

  1. ji ha rajnish ji aapne bulkul sahi kaha ... hamare yaha yojnaye tobahut sare hai par sahi jankari nahi rahne karan usaka labh nahi utha pate hai log ...sahi kahe to un tak jinko is yojna ki jaroort waha tak bat pahuchai hi nahi jati hai ...last year jab mai india me thi to mere muhalle ki kahani mai aapko batana chahungi ki .. kuchh adhikari log aaye the ,or 2 hajar rupye sabhi se le rahe hai or ak kagaz pe sabhi se dastkhat le rahe hai .mai ne apni sasu maa se puchhi ye kya hai kaisi bhid hai .unhone kahi ki koi sarkari yojna ke tahat kuch log aaye hai jo ye bol rahe hai ki abhi 2000 rupye doge to ,tumhari beti ki sadi ke liye sarkar se 50,000 milega ..mai man hi man sochi ki jinke pass do wqt ki rotiya nahi hai unke liye 50,000 ki sahayata beti sadi me mil jaye to bahut hai n...lekin jab mai unlogo se dastkht liye gaye pepar dekhi to hairan rah gai ki sare pharzi the ..na to koi sarkari mohar na kuchh ..ab jara aap sochiye ki sarkar to 50,000 hajar de rahi hai lekin hamre samj ke bich hai baithe hai kuch log jo wo 50,000 to nahi hi milega .. par us garib se jinke pass 2 waqt ki roti nahi hai unke liye 2000rupye dena kitna mushkil hoga ....lekin unhe bhi ye log nahi chor rahe hai apni rotiya sek rahe hai..

    phir mai bahar nikali sabko samjhai ...kuch log samjhe kuch log nahi bhi samjhe ...mai apni sasu maa se khub dant bhi suni ki tumko kya jaroorat hai ..par mujhe aisalaga ki ye mera farz hai ... or mujhe sahi jankari inlogo ko dena chahiye ..
    JAB kuchh dino bad sab logo kopata chala ki sab phrji tha to wo log mujhe kaphi duya diye... [chotki dulhin ke karn ham logoka 2 hajar rupaye bach gaye] MAI YE SAMJHTI HU HOO KI JINKO JAROORAT HAI UNKO HI JAGARUK HONA PAREGA ..TABHI SAMSYA KA HAL HAI ..

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  2. Dear Rajnish,
    I read your article and it is really shocking to learn that in this age of transparency and active media, there are certain irresponsible people in authority who are getting away with all this. I hope that message in your blog reaches the concerned official and they take the required corrective action. I also admire your courage in overcoming caste considerations and bring this all out in open for the common good. May this inspire more and more people to join you in this marvelous effort of yours. Best wishes. Manoj

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  3. indira awaas yojna ke tahat to aise hi kaagjaat bante rahe hain......is awaaz ke saath naya savera aayega

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