रविवार, 23 फ़रवरी 2014

अरई को शाबासी

मन की बात


मैं सोचता हूँ कि ग्राम पंचायत अरई के - ग्राम मुसेपुर खैरा के विशाल जलाशय का पुनरुद्धार कराया जाता, उसकी व्यापक उड़ाही कराकर उसमें मत्स्यपालन के द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ो रूपए अर्जित किए जा सकते हैं; देवी बिगहा तथा अन्य टोलों पर रहनेवाले सभी गरीबों को बिना घूस के इंदिरा आवास मिल जाता और उनकी सारी गलियों को पंचायत विकास राशि से इंट सोलिंग कर दिया जाता, ताकि वे बरसात में नारकीय स्थिति में रहने को विवश ना हों; हमारे गाँव में अरई से खैरा के बीच में आहर के किनारे पक्की सड़क बन जाए और दोनों किनारे सुन्दर-सुन्दर वृक्ष लग जाए तो नजारा कितना अच्छा होता; ठाकुर-बिगहा से नाला तक और फिर शमशेरनगर स्टैंड से नौडीहा भाया खैरा तक सड़क के दोनों किनारे मुख्यमंत्री आवास के पास लगे Palm Tree पौधा लग जाता और उसी तरह के स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था हो जाती; अरई तथा बिरई गाँव के बीच लगभग चार सौ एकड़ जमीन जल-निकास की व्यवस्था के अतिक्रमित हो जाने के कारण अनुपजाऊ और अनुपयोगी बनी है, उसका समाधान होता तो लोगों की आय बढ़ती; पांच एकड़ में फैले उच्च विद्यालय अरई के जमीन को अतिक्रमणमुक्त कर उसकी चहारदीवारी दी जाती और बिहार राज्य शैक्षिक आधारभूत संरचना निगम के द्वारा वहां भवन बनाए जाते, जिसमें १०+२ तक की पढ़ाई होती और गाँव के लड़कियों को इंटरमीडीएट तक की पढ़ाई की सुविधा मिल जाती; सूर्यमंदिर के पास के तालाब को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो जाती, अभी उसमें बहुत ही गंदा और मल-मूत्र युक्त पानी जमा होता है और उसी में लोग स्नान कर पूजा करते हैं; गाँव की आबादी के हिसाब से यहाँ कम से कम पांच सौ केवीए क्षमता के ट्रांसफार्मर लग जाते, ताकि हर किसी को बिजली उपलब्ध हो जाती; दस हजार की आबादी वाले गाँव में अधिकतम दस लोग हैं जो किसी न किसी कारण से बिल्कुल लाचार हैं और उनके विशेष देखभाल की जरुरत है साथ ही पूरे गाँव के गलियों और नालियों के नियमित सफाई हेतु भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है, इसके लिए गाँव के लोगों के द्वारा ही स्थापित एक ट्रस्ट से एक उचित व्यवस्था बनाई जा सकती है; और अंततः यह कि यह सारे काम हो सकने वाले हैं, अगर स्थानीय प्रतिनिधि और सम्बद्ध पदाधिकारियों का सहयोग हो तो इसे बहुत कम समय में संभव किया जा सकता है. मैं तो इसे करूंगा ही चाहे समय जितना लगे.