सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

पटना में थ्री इडियट


अगर छात्र जैसे हम पढ़ाते हैं उससे नहीं सीखते तो वे जैसे सीखेंगे हम वैसे पढ़ायेंगे। कुछ ऐसा ही जज्बा लिए अच्छी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आकर्षक नौकरियों को छोड़कर तीन युवक पटना में इंजिनीयरिंग की तैयारी में लगे छात्रों का मार्गदर्शन करने आये हैं। तीनों आई॰आई॰टी रुड़की से 2007 बैच के अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। उनमें से एक राकेश प्रकाश से मेरी भेंट ऑरकुट पर चैट से हुई। संयोग से अगले दिन इन तीनों से मेरी लाइव भेंट भी हुई। एकाएक तो लगा कि ये थ्री इडियट सिनेमा के पर्दे से बिहार की धरती पर कैसे। मैं राकेश और मनीष का पात्र परिचय तो नहीं कर सकता पर आयुष तो बिल्कुल माधवन के किरदार में फिट बैठ रहा था। कोई व्यक्ति अपनी वर्तमान स्थिति को समाज से ही प्राप्त करता है और उसकी भी समाज के प्रति कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं। यही सामाजिक जिम्मेदारी का बोध इन्हें बिहार खींच लायी है, और ये अपनी मेधा का निवेश अपनी जमीं पर कर रहे हैं। और आप निवेश से आर्थिक फायदे की बात मत सोच लीजिएगा, बल्कि इन्हें बदले में चाहिए मानसिक संतुष्टि। जी हाँ, कोई ऐसा लड़का जिसमें मेधा है, पढ़ने की ललक है, आर्थिक दृष्टि से लाचार है तथा वह इंजीनियर बनना चाहता है उसके लिए इन लोगों ने मुफ्त में पढ़ाई-लिखाई के साथ रहने-खाने की भी व्यवस्था की है। है ना बेजोड़ निवेश। आप इनकी योजना को यहाँ क्लिक कर देख सकते हैं।

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