मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
मिट्टी की खुशबू ने विदेश से किया मोहभंग
कटिहार, [अमरेंद्र कांत]।
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता बन जाएगा। बशीर बद्र के शेर को चरितार्थ कर रहे हैं कामायिनी व उनके पति आशीष। अदम्य् साहस और दूसरों के लिए जीने की उत्कंठा लिए अमेरिका से नौकरी छोड़ कोसी व सीमाचंल में मजदूरों, शोषितों के बीच अलख जगा रहे इस दंपति को सरकारी सहायता के प्रति रुचि नहीं है।
ये चाहते हैं कि उनके द्वारा चलाए जा रहे अभियान से बिहार के मजदूरों, दलितों के चेहरे पर भी मुस्कान आए और वो भी अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें। उत्तरप्रदेश के मेरठ की रहने वाली कामायनी स्वामी और सहरसा जिले के सोनबरसा के रहने वाले आशीष रंजन पति-पत्नी हैं।
आशीष रंजन आईआईटी खड़गपुर से बी टेक कर अमेरिका की एक कंपनी में कार्यरत थे, जबकि उनकी पत्नी दिल्ली के लेडी राम कालेज से एमए हैं। इसके अलावा टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल सांइस मुंबई की स्टूडेंट रही हैं।
कटिहार के मनसाही प्रखंड के गांवों में नरेगा, सूचना अधिकार, सरकारी योजना आदि को लेकर जनजागरण अभियान चलाने पहुंची कामायनी ने बताया कि वो वर्ष 1996 में मजदूर किसान शक्ति संगठन, श्रमिक आदिवासी संगठन मध्य प्रदेश से जुड़कर समाज सेवा कर रही थीं।
वर्ष 2003 में शादी के बाद अपने पति के साथ अमेरिका चली गई। लेकिन, ससुराल बिहार के सुदूर इलाके में रहने और वहां का रहन-सहन देखने के बाद उन्हें जागरूक बनाने के लिए उत्कंठा पैदा हुई और पति के साथ वर्ष 2005 में अमेरिका की नौकरी छोड़कर बिहार लौट आई।
बताया कि अररिया जिले से उसने इस अभियान की शुरुआत की और इसमें काफी सफलता मिली। दंपति अररिया समेत सीमांचल व कोसी के इलाके में जनजागरण अभियान के माध्यम से लोगों को उनके अधिकार, सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधा के बारे में जानकारी देकर उन्हें आगे आने को कहते हैं।
इनके इस अभियान का नतीजा हुआ कि पिछले दिनों कटिहार जिले के मनसाही के लोगों ने प्रखंड कार्यालय पर जाब कार्ड बनाने व अधिकार के लिए धरना दिया और उन्हें अधिकारियों द्वारा कार्यवाई का आश्वासन भी मिला।
आशीष जो बीआईटी पटना में क्लास लेते हैं, उन्होंने बताया कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेघा पाटेकर एवं अन्य लोगों की अदम्य साहस को देखकर पत्नी का साथ देने विदेश की नौकरी को तिलांजलि देकर यहां पहुंचे हैं।
उनकी मंशा है कि कोसी व सीमांचल का इलाका ही नही वरन बिहार के लोगों की तरक्की हो सके। दबे-कुचलों को भी उनका अधिकार मिल सके। उन्होंने बताया कि इसमे उन्हें अन्य संगठनों का भी सहयोग मिल रहा है। युवा दंपति के इस जज्बे को सभी सलाम कर रहे हैं।
सोमवार, 21 दिसंबर 2009
हाथ तो ऐसे जोड़े हैं, जैसे नोबेल प्राइज लेकर स्वदेश लौटे हैं ।
छेड़छाड़ के आरोपी पूर्व-डीजीपी को छह माह की जेल
चंडीगढ़। सीबीआई की एक विशेष कोर्ट ने उन्नीस साल पहले एक किशोरी से छेड़छाड़ करने के मामले में हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को दोषी करार देते हुए छह माह के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उन्हें 1,000 रुपए की राशि जुर्माने के रूप में भरने को कहा है।
सीबीआई के स्पेशल मजिस्ट्रेट जेएस सिद्धू ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि जुर्माना न अदा करने पर राठौर को एक माह की सजा और भुगतनी होगी। पीड़िता 14 वर्षीय किशोरी रुचिका गिरहोत्रा उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी थी। वह 12 अगस्त 1990 को राठौर की छेड़छाड़ का शिकार हुई थी। उस दौरान राठौर हरियाणा में आईजी और हरियाणा टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। उसी दौरान रुचिका और राठौर का आमना-सामना हुआ था। इस घटना के तीन साल बाद रुचिका ने जहर पीकर खुदकुशी कर ली थी।
पूर्व डीजीपी की पैरवी कर रही उनकी वकील पत्नी ने अदालत से फैसला सुनाते वक्त उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नरमी बरते जाने का अनुरोध किया था।
पीड़िता के परिजनों ने राठौर को सुनाई गई छह माह के सश्रम कारावास की सजा को कम बताया है। आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी करार दिए गए व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है।
गौरतलब है कि छेड़छाड़ की इस घटना के आठ साल बाद 1998 में इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले की गई थी। रुचिका के परिजनों ने राठौर के खिलाफ केस किए जाने की वजह से पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किए जाने का आरोप भी लगाया।
रुचिका की सहेली आराधना को राहत : रुचिका की सहेली और इस घटना की एकमात्र गवाह आराधना गुप्ता इस मामले का फैसला सुनने के लिए आस्ट्रेलिया से अपने पति के साथ चंडीगढ़ आई थीं। आराधना, रुचिका की सहयोगी टेनिस खिलाड़ी और पड़ोसी थीं। घटना के वक्त वह महज 13 साल की थीं। आराधना ने बताया कि रुचिका द्वारा खुदकुशी कर लिए जाने के कारण वह खुद को माफ नहीं कर पा रहीं थीं, लेकिन कोर्ट के फैसले से उन्हें कुछ राहत महसूस हुई है।
रुचिका की मौत के बाद पुलिस की प्रताड़ना से परेशान होकर उसका परिवार पंचकुला का अपना घर छोड़कर पंजाब में किसी अज्ञात जगह पर रहने चला गया था। इसके बाद रुचिका के मामले को आराधना के पिता ने अपने हाथ में ले लिया था और वे न्याय पाने के लिए लगभग 450 बार विभिन्न कोर्टे में पेश हुए थे।
चंडीगढ़। सीबीआई की एक विशेष कोर्ट ने उन्नीस साल पहले एक किशोरी से छेड़छाड़ करने के मामले में हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को दोषी करार देते हुए छह माह के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उन्हें 1,000 रुपए की राशि जुर्माने के रूप में भरने को कहा है।
सीबीआई के स्पेशल मजिस्ट्रेट जेएस सिद्धू ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि जुर्माना न अदा करने पर राठौर को एक माह की सजा और भुगतनी होगी। पीड़िता 14 वर्षीय किशोरी रुचिका गिरहोत्रा उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी थी। वह 12 अगस्त 1990 को राठौर की छेड़छाड़ का शिकार हुई थी। उस दौरान राठौर हरियाणा में आईजी और हरियाणा टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। उसी दौरान रुचिका और राठौर का आमना-सामना हुआ था। इस घटना के तीन साल बाद रुचिका ने जहर पीकर खुदकुशी कर ली थी।
पूर्व डीजीपी की पैरवी कर रही उनकी वकील पत्नी ने अदालत से फैसला सुनाते वक्त उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नरमी बरते जाने का अनुरोध किया था।
पीड़िता के परिजनों ने राठौर को सुनाई गई छह माह के सश्रम कारावास की सजा को कम बताया है। आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी करार दिए गए व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है।
गौरतलब है कि छेड़छाड़ की इस घटना के आठ साल बाद 1998 में इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले की गई थी। रुचिका के परिजनों ने राठौर के खिलाफ केस किए जाने की वजह से पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किए जाने का आरोप भी लगाया।
रुचिका की सहेली आराधना को राहत : रुचिका की सहेली और इस घटना की एकमात्र गवाह आराधना गुप्ता इस मामले का फैसला सुनने के लिए आस्ट्रेलिया से अपने पति के साथ चंडीगढ़ आई थीं। आराधना, रुचिका की सहयोगी टेनिस खिलाड़ी और पड़ोसी थीं। घटना के वक्त वह महज 13 साल की थीं। आराधना ने बताया कि रुचिका द्वारा खुदकुशी कर लिए जाने के कारण वह खुद को माफ नहीं कर पा रहीं थीं, लेकिन कोर्ट के फैसले से उन्हें कुछ राहत महसूस हुई है।
रुचिका की मौत के बाद पुलिस की प्रताड़ना से परेशान होकर उसका परिवार पंचकुला का अपना घर छोड़कर पंजाब में किसी अज्ञात जगह पर रहने चला गया था। इसके बाद रुचिका के मामले को आराधना के पिता ने अपने हाथ में ले लिया था और वे न्याय पाने के लिए लगभग 450 बार विभिन्न कोर्टे में पेश हुए थे।
शनिवार, 19 दिसंबर 2009
देश हित
देश हित की बात करो, छेड़ो अपने मन का तार,
अपने कर्म से विमुख ना हो, तुम पर है यह गुरुत्तर भार ।
विश्व में फिर छा जाएँ हम, प्रकट करे विश्व आभार,
यह संभव हो सकता है, जब दूर करें हम भ्रष्टाचार ।।
अपने कर्म से विमुख ना हो, तुम पर है यह गुरुत्तर भार ।
विश्व में फिर छा जाएँ हम, प्रकट करे विश्व आभार,
यह संभव हो सकता है, जब दूर करें हम भ्रष्टाचार ।।
मंगलवार, 15 दिसंबर 2009
Fw: नरेगा के कार्यों में बरती जा रही अनियमितता की जांच कराने हेतु ।
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The INTERNET now has a personality. YOURS! See your Yahoo! Homepage.
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