आदरणीय महाशय,
मैं रजनीश कुमार ग्राम-अरई, प्रखंड-दाऊदनगर, जिला-औरंगबाद का निवासी हूं । मेरे गांव में कृ्ष्णा पासवान ने अपनी बेटी की शादी के उपरान्त मुख्यमन्त्री कन्या विवाह योजनान्तर्गत आवेदन देने की सोची, उसे निम्नांकित परेशानियों से जुझना पड़ रहा है-
(१)मुखिया जी ने बताया कि पंचायत मे निश्चित कोटा होता है, जो खतम हो गया है, पर प्रखंड विकास पदाधिकारी महोदय से जब हमने दूरभाष पर बात की, तो उन्होने बताया कि कोटा जैसी कोई बात नहीं है ।
(२)आवासीय प्रमाण पत्र के लिए जब पंचायत सेवक महोदय की जरुरत पड़ी, तो दस दिन तक लगातार आशा देखने के बाद वे तो नहीं पर उनका मोबाईल नंबर मिला, मैंने खुद उनसे बात की। वे एक चाय दुकान पर बुलाये और आवेदन पर रिपोर्ट लिखकर उसे ब्लौक में जमा करने को कहा । उम्मीद है कि अब आवासीय प्रमाण पत्र बन भी गया होगा ।
(३)जब विवाह के निबंधन के बारे में पूछा तो पंचायत सेवक महोदय ने कहा कि यह मुखिेया जी क काम है, उधर मुखिया जी इसे पंचायत सेवक का काम बता रहे हैं ।
(४)आवेदक मजदूर हैं, इनकी स्थिति ऐसी है कि आज मजदूरी नहीं करें तो कल पूरा परिवार भूखा सोयेगा पर बी.पी.एल. सूची मे नाम नहीं है, लिहाजा आवेदन के साथ आय प्रमाण पत्र लगाना पड़ेगा, पर कर्मचारी महोदय गांव आते नहीं, और कृष्णा पासवान के लिए दाऊद्नगर बहुत दूर है ।
योजनायें जितनी बन जायें पर उनको सही आदमी तक तब तक नहीं पहुचाया जा सकता है जब तक व्यवस्था को व्यवस्थित नही किया जाता । कृष्णा पासवान जैसे लोगों के लिये ५००० रु. बहुत बड़ी राशि है और उसे वास्तव मे इसकी जरुरत है पर वह कार्यालयीय पेचिदगियों के आगे विवश है, ऊपर से सम्बंधित कर्मचारी/जन प्रतिनिधि/अधिकारियों की अनुपस्थिति एवम टालू रवैया इन्हें हतोत्साहित करता है ।
अतः श्रीमान से मेरा विनम्र आग्रह है कि वे संबंधित कर्मचारियों को कम से कम सप्ताह मे एक दिन पुरे कार्यघन्टे तक पंचायत कार्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश दें, ताकि समाज के जो सबसे वन्चित लोग हैं, वे भी सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उठा सकें । साथ ही कृष्णा पासवान को मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली राशि दी जाये ।
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