सोमवार, 18 अगस्त 2014

अतिक्रमण और अराजकता का यह तरीका चिंतित कर रहा है

कोई भी गलत बात भीड़ इकठ्ठा कर देने, रोड जाम कर देने और प्रशासनिक अधिकारियों को घेरकर जबरन दबाव बनाने से सही नहीं हो जाता. प्रबुद्ध और सक्रिय लोगों के सहयोग से मेरे गाँव के लोगों ने अरई से मुसेपुर खैरा के बीच आहर के किनारे रोड बनाने हेतु बीच में पड़नेवाली अपनी निजी जमीन दे दी. इस बाबत मैंने पूर्व में अपने फेसबुक वाल पर लिखा भी था और काफी उत्साहित था कि जो काम कई पीढ़ियों से नहीं हुआ था वो हमलोगों के समय हुआ. यह उम्मीद बढ़ी कि जब मेन रोड से आहर का पिंड कनेक्ट हो गया है तो भविष्य में इन दोनों गाँवों के बीच आज न कल इस रास्ते पक्की सड़क भी बन ही जाएगी. इस बीच विगत एक हफ्ते के अंतर्गत अचानक से गाँव के ही अनुसूचित जाति के मजदूर वर्ग के लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से आहर के पिंड तथा उसके जलसंचय के क्षेत्र को अतिक्रमित कर लिया और उस पर थेथर, बाँस, कांटे इत्यादि से प्लॉटिंग कर घेर लिया. विदित हो कि वह पिंड खेती के लिए ट्रैक्टर आने-जाने, धान का बोझा रखने और अरई से मुसेपुर खैरा के बीच आवागमन के रास्ते के रूप में उपयोग होता है और आहर इन दोनों गाँवों के लगभग पाँच सौ एकड़ जमीन के पटवन और जल-संचय का साधन है. दिनांक 16/08/2014 को जब गाँव के किसानों ने अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया तो अतिक्रमणकारी मजदूर वर्ग के लोग लगभग तीन सौ की संख्या में महिलाओं को आगे कर लाठी-डंडा से लैस होकर झगड़े पर उतारु थे. संयोग सुखद था, उनके आक्रामक रवैये के बावजूद लोगों ने संयम से काम लिया और एक बड़ी घटना टल गई. फिर उन्होंने पटना-औरंगाबाद मुख्य सड़क को जाम कर दिया और प्रशासनिक पदाधिकारियों के लगातार आग्रह के बावजूद अराजकता का माहौल बनाए रखा. खैर काफी मान-मनौव्वल और खुशामद के बाद वे लौटे. मुझे अतिक्रमण और अराजकता का यह तरीका चिंतित कर रहा है. मैं अपने गाँव और यहाँ के युवाओं के भविष्य के प्रति चिंतित हूँ. अनुसूचित जाति और मजदूर वर्ग को भारतीय संविधान में विशेषाधिकार इसलिए हासिल हैं कि उनका सामाजिक-आर्थिक स्तर ऊपर उठ सके, इसलिए नहीं कि वे अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग समाज में उग्रवाद और अव्यवस्था फैलाने हेतु करें. कोई भी मसला हो अंततः उसका समाधान संवाद से निकलता है, इसलिए समाधान हेतु मजदूर और किसानों के बीच हमेशा तनाव रहित वातावरण में संवाद कायम होना चाहिए. मैंने अपने अहंकार को ताक पर रख कर मजदूर वर्गों से व्यक्तिगत संवाद कायम कर इस तरह का व्यवहार न करने हेतु आग्रह किया है और किसानों को भी मजदूरों के साथ बिल्कुल तनाव-रहित माहौल में बात कर पुनः पहले जैसी मित्रवत वातावरण में खेती का कार्य जारी रखने का आग्रह किया है. भगवान हमारे गाँव के भविष्य को सही दिशा दें, यही कामना है.

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