मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

इस वीडियो को देखकर रोने को मन करता है

वे हमारी सुरक्षा में अपनी जान दे देते हैं और हम उनकी प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था भी नहीं कर पा रहे, शर्मनाक है.
अभी डिप्टी कमांडेंट स्वर्गीय इन्द्रजीत जी का यूट्यूब पर ह्रदय-विदारक वीडियो देखा. वे चिल्ला रहे हैं कि दो घंटे से मेरे पास कोई डॉक्टर नहीं आए हैं, मेरे शरीर से पूरा खून बह गया है और मैं पांच-दस मिनट में मर जाऊँगा. वे गिड़गिड़ा रहे हैं कि मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, कोई डीजीपी को कहो, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रपति किसी को कहो, हेलिकॉप्टर मंगाओ, पर मुझे बचा लो मेरे भाई.
पर, हालात ऐसे हैं कि आज तक बिहार में हेलिकॉप्टर बेस नहीं बनाया गया, जरुरत पड़ने पर राँची से हेलिकॉप्टर मंगाया जाता है. वहीँ नक्सली हमले तथा अन्य कारणों से घायलों के इलाज के लिए राँची के ही अपोलो अस्पताल से टाई-अप है, पटना में ऐसे घायलों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था सहित कई अस्पतालों की उपलब्धता के बावजूद सरकार के स्तर से किसी के साथ टाई-अप नहीं है. एक बार सीआरपीएफ में तैनात एक वरीय आईपीस अधिकारी ने गया में हेलिकॉप्टर बेस बनाने का प्रस्ताव लाया था, पर तब के डीजीपी महोदय जो अब मानवाधिकार की रक्षा करते हैं, ने इस पर विचार करना भी उचित नहीं समझा और यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया था कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय गृहमंत्री श्री चिदंबरम से बात करने को इच्छुक नहीं रहते.
फिर, अपने लिए तो राजनेता पूरी सुविधाओं से लैस चिकित्सकों की टीम लिए घुमते हैं और स्पष्ट निर्देश के बावजूद अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी सुरक्षा-कर्मियों के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था क्यों नहीं की जाती ? घायलों को घंटों बाद मीनी बस के फूट-रेस्ट पर लादकर लाया गया.
औरंगाबाद में रेड क्रॉस सोसायटी एक मजे करनेवाली क्लब बनकर रह गई है, जिसके सदस्यों का काम केवल पदाधिकारियों के आगे-पीछे करना और बैठकबाजी करना रह गया है. वे केवल कांफ्रेंस करते हैं, पार्टी करते हैं और रेड-क्रॉस के नाम पर जिले में प्रभावशाली ग्रुप बनाने का काम करते हैं, जिनका अंतिम उद्देश्य प्रशासन की दलाली करना है. वे उद्देश्यों से पूरी तरह भटके हुए हैं. अक्सर आपातकाल में ब्लड की जरुरत पड़ने पर इसकी उपलब्धता शून्य रहती है.
सदर अस्पताल औरंगाबाद के हालात से भी सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं.

वीडियो लिंक- https://www.youtube.com/embed/RAGDBVznhrI

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