शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008
हम बात के साथ-साथ काम भी करेंगे ।
नेताऒं को गरियाने का अंतहीन सिलसिला चलता ही रहेगा और मुझे नहीं लगता कि इससे बहुत कुछ फायदा होनेवाला है । वास्तव में अगर परिवर्तन लाना है तो हमें इन्टरनेट पर लिखने के साथ-साथ आधुनिक संचार तकनीक का प्रयोग कर अपने आस-पास व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना होगा । यकिन मानिए भ्रष्टाचारी चाहे वे नेता हों, ब्यूरोक्रेट्स हों अथवा कोई और, बड़े कमजोर इन्सान होते हैं, हमलोग ही (आम आदमी) उन्हें कुछ अधिक भाव दे देते हैं और उनमें विशिष्टता का भाव भर देते हैं । मैं अपनी बातों को प्रयोग के आधार पर कह रहा हूँ । मेरे गाँव अरई (जिला - औरंगाबाद, बिहार) में सारे क्षेत्र में घपलेबाजी हो रही थी, चाहे किसानों को बैंक से क्रेडिट कार्ड बनवाना हो, चाहे नरेगा हो, चाहे द्वादश वित्त की विकास राशि खर्च करने का मामला हो, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत् रोड का निर्माण हो या फिर राजीव गाँधी ग्राम विद्युतिकरण योजना के तहत् विद्युतिकरण का कार्य । मैंने खुद पहल कर सूचना के अधिकार के द्वारा तथा अन्य माध्यमों से इन सारी योजनाऒं के बारे में पक्की जानकारी इकट्ठी की तो दंग रह गया, लूट मची थी भैया । सारे गलत कार्यों की जानकारी अपने गाँव वालों के साथ-साथ संबंधित वरीय पदाधिकारियों को देना शुरू किया और लगा रहा जबतक सकारात्मक नतीजे नहीं आए या यूँ कहिए लगा हुआ हूँ । सबको प्राक्कलन् के अनुसार काम करना पड़ रहा है और करना पड़ेगा, कोई नेता नहीं बचा पाएगा इन माफियाऒं को । मुम्बई पर जो आतंकवादी हमला हुआ वो मर्मांतक है, पर हमलोग तबतक दोषारोपण करते रहेंगे जबतक कमजोर बने रहेंगे । हमें मजबूत बनना है और एक-एक पैसे का सदुपयोग करना है, कराना है चाहे वह जिस मद का हो । आप हम खुद आगे बढें, क्यों समय बर्बाद करें नेताऒं के पिछे, क्या गारंटी है इनके बाद कोई अच्छा ही आएगा । अगर हम सब अपने आस-पास सजग रहें तो बेहतरी की उम्मीद तो कर ही सकते हैं । और जब हम एक बार मजबूत हो गए ना, तो किसी के पास शिकायत करने नहीं जायेंगे, कोई कुटनीति नहीं, कोई राजनीति नहीं, जो हमारे देश के खिलाफ आँख उठाकर देखेगा, उसे उसके घर से उठाकर खुद लायेंगे और बतायेंगे - गंदे काम की सजा कितनी गंदी होती है । और यह सब हमलोग सिस्टम में रहकर, सिस्टम को दुरुस्त कर करेंगे ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Innovation needs platform,i must confess u hv driven a audacious attempt to change the system leaving with in the system.a sagacious n social human being wat the society lacks,keep urself ignite n fire wil generate now n then.i read all ur scrap n were very circulous to me`i wil keep on doing aftr 28 dec`fine, thank you` sonu,delhi
जवाब देंहटाएं