देश के पांच लोगों के औसत परिवार को प्रतिदिन १२0 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। शहर और गांव में मौजूद पारंपरिक जल स्रोतों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया जाए और उनके पुर्नजीवन के बारे में अगर सोचें तो कहीं- कहीं नगर निगमों द्वारा आने वाले समय में तीन दिनों में पानी देने की घोषणा रद्द हो सकती है। जरूरत है सिर्फ जलस्रोतों की सफाई के बाद इन्हें निगम की वाटर सप्लाई से जोड़ने की।
भास्कर अखबार के एक सर्वे में पाया गया कि पुराने इंदौर में, हर थोड़ी दूर पर कोई न कोई कुआं, बावड़ी नजर आ जाता है। यदि इन सभी को दुरुस्त कर लिया जाए तो इस पूरे क्षेत्र में नगर निगम की वॉटर सप्लाय सिस्टम की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पांच से अधिक शहरों व कई गावों में पानी की समस्या से निपटने के लिए काम कर रहे ढास ग्रामीण विकास केन्द्र के ट्रस्टी राहुल बैनर्जी कहते हैं ये काम बहुत ही आसान है। प्रतिदिन के 1 से 2 हजार रुपए में किसी भी छोटे कुएं को साफ किया जा सकता है। इसमें समय भी दो-तीन दिन से ज्यादा नहीं लगता। यदि हम पंपिंग टेस्ट कर लें तो उस बावड़ी या कुए की फ्लो कैपेसिटी का भी पता चल जाएगा। जलस्रोत के आसपास के क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिंग कर ली जाए तो फिर जल संकट फटक भी नहीं सकता। वाटर हॉर्वेस्टिंग भी बहुत ही कम खर्च में की जा सकती है।
क्या हम अपने यहाँ ऐसा ही कोई अभियान चला सकते हैं -
आज न कल हमें अपना पानी पैदा करना ही होगा-
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